केंद्र सरकार द्वारा हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर जीएसटी को शून्य किए जाने के बाद बीमा क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ सक्रियता देखने को मिल रही है। ऑनलाइन बीमा मार्केटप्लेस Policybazaar के आंकड़ों के मुताबिक, टैक्स छूट लागू होने के बाद बीमा योजनाओं में बंपर डिमांड देखी गई है। जहां टर्म इंश्योरेंस की मांग 2.5 गुना, वहीं हेल्थ इंश्योरेंस की मांग 2.2 गुना तक बढ़ चुकी है।
बीमा खरीद का ऐसा उत्साह पहले कभी नहीं देखा गया
सितंबर 2025 से तुलना करें, तो बीमा क्षेत्र में यह उछाल कोविड काल के समय की तेजी को भी पीछे छोड़ चुका है। खास बात यह है कि यह ट्रेंड किसी तात्कालिक उत्तेजना तक सीमित नहीं रहा – अब तक भी, यानि नीति लागू होने के हफ्तों बाद, टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस की मांग लगातार बढ़ी हुई है, जो क्रमशः 1.8 गुना और 1.7 गुना बनी हुई है।
क्या कहते हैं उद्योग के विशेषज्ञ?
PB Fintech के जॉइंट ग्रुप सीईओ सरबवीर सिंह के मुताबिक, यह न सिर्फ बीमा इंडस्ट्री, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा:
“भारत जैसे देश में, जहां अचानक होने वाला मेडिकल खर्च सालों की बचत को खत्म कर सकता है, यह टैक्स छूट आम लोगों के लिए संजीवनी बनकर आई है। इससे बीमा लेना अब ‘लग्ज़री’ नहीं, बल्कि एक ‘न्यूनतम आवश्यकता’ बन गई है।”
उपभोक्ताओं के तीन प्रमुख वर्ग, और तीनों में दिखा बदलाव
Policybazaar के अनुसार, बीमा खरीदने वाले उपभोक्ताओं को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
-सक्रिय ग्राहक – जो पहले से योजना बना रहे थे
-टालमटोल करने वाले – जो कीमत या संदेह के कारण कदम नहीं बढ़ा पा रहे थे
-निर्णय में असमर्थ ग्राहक – जिन्हें अब तक स्पष्टता नहीं थी
-जीएसटी हटाए जाने के बाद तीनों वर्गों में जबरदस्त हलचल देखी गई है।
-सक्रिय खरीदार अब अतिरिक्त कवरेज लेने की ओर बढ़े हैं
-टालमटोल करने वालों को कम प्रीमियम ने तुरंत आकर्षित किया
-अनिश्चित लोग भी अब पहल करने लगे हैंत्योहारों का समय बना बीमा निवेश का सुनहरा अवसर
नवरात्रि जैसे शुभ अवसर, जिन्हें नए निवेश और नई शुरुआत के लिए आदर्श समय माना जाता है, ने इस ट्रेंड को और बल दिया है। बीमा कंपनियों का कहना है कि इस बार फेस्टिव सीजन में बीमा खरीद का जोश पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है। शून्य GST और त्योहारों का संयोग ग्राहकों के लिए बीमा लेने का बेहतर समय नहीं हो सकता।
भारत की बीमा यात्रा को मिली रफ्तार
भारत में बीमा कवरेज आज भी वैश्विक औसत से काफी कम है। ऐसे में सरकार का यह कदम न केवल उद्योग को रफ्तार देने वाला है, बल्कि यह सामान्य परिवारों को आर्थिक मजबूती की दिशा में आगे बढ़ाने वाला भी है।
Policybazaar ने बताया कि उनके कुल मार्केटिंग बजट का लगभग 85% हिस्सा बीमा जागरूकता फैलाने में खर्च किया जाता है, ताकि लोग समझ सकें कि हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस उनकी ज़िंदगी में कितनी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
